पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाएँ तो कागज का उपयोग, कई वृक्षों की कुर्बानी माँगता है, और यदि हम केवल समाचारपत्रों के डिजिटल संस्करण का उपयोग करना शुरू कर दे तो कई पेड़ों की कटाई को रोक कर पर्यावरण का होने वाला नुकसान बचा सकते हैं | डिजिटल संस्करण का शुल्क भी देकर समाचार पत्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है|
आइए जानें कितना नुकसान होता है अख़बार के कागज के बनने पर ….
क्या आप जानते हैं?
- 12 पेड़ों की लकड़ी से 1 टन अख़बार के कागज का निर्माण होता है |
- एक अख़बार में लगभग 20 पेज यानी लगभग 35 ग्राम कागज का इस्तेमाल होता है |
- 1 टन अख़बार के कागज पर लगभग 27500 अख़बार की प्रति छपती है |
एक पेड़ की कटाई से अख़बार की लगभग 2200 प्रतियाँ प्रकाशित होती है | - हिन्दुस्तान में लगभग 20 करोड़ अख़बार की प्रतियाँ प्रतिदिन छपती हैं |
- मतलब लगभग 7400 टन कागज का इस्तेमाल प्रतिदिन केवल अख़बार छापने भर में होता है|
- इन सब पर कुल 88000 पेड़ों की प्रतिदिन कटाई केवल अख़बार छापने के लिए ही होती है |
Green Media- Digital Media
तो इसीलिए आवश्यकता है डिजिटल मीडिया की…
भारत भर के आँकड़ों का अवलोकन किया जाए तो हम केवल अख़बार के कारण लगभग ८०से ९० हज़ार वृक्षों को प्रतिदिन कुर्बान कर देते है , जबकि हम केवल आदत बदलने भर से पर्यावरण का नुकसान होने से बचा सकते है | साथ की अख़बार की लागत मूल्य भी ज़्यादा है | इसे डिजिटल मीडिया से आसानी से कम खर्च में अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है |